जो बेटी को कोख़ में मार के भगवान से बेटा होने का वरदान माँगते है, वही बेटा बड़ा होकर जमीन जायदाद के लिए अपने माँ बाप को मारते है, नशे करते है गालियां देते है, क्यों ? क्योंकि उन्हें ये समझ जाना चाहिए के वो उसी बहन के भाई होते है जिन्हें उन्होंने कोख में मार दिया गया था। ये कर्मा है। इंसाफ है कुदरत का। बेटी ये कोख से बोल रही, माँ करदे मुझपे ये उपकार,।। बिन मेरे माँ तुम भैया को, राखी किससे बन्धवाओगी,।। मरती रही कोख की हर बेटी, तो बहु कहा से लाओगी,।। बेटी ही बहन,बेटी ही दुल्हन, बेटी से ही होता परिवार,।। मत मार मुझे जीवन दे दे, मुझको भी देखने दे संसार,।। मानेंगे पापा भी अब माँ, तुम बात बता के तो देखो,।। दादी नारी,तुम भी नारी,, सबको समझा कर तो देखो,।। बिन नारी,प्रीत अधूरी है,, नारी बिन सुना है घर बार,।। मत मार मुझे.................. मुझको भी देखने............. नहीं जानती में इस दुनिया को, मैने जाना माँ बस तुमको,।। मुझे पता तुझे फिकर मेरी,, तू मार नहीं सकती मुझको,।। फिर क्यों इतनी मजबूर है तू, माँ क्यूँ है तू इतनी लाचार,।। मत मार मुझे.................., मुझको भी देख................ अगर मै
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