Listen more speak less.. BUT WHY?

ज्यादा बोलकर अपनी जुबान से अपना गला न काटे। 

ज्यादा 

बोलने वाला दुखी रहता है और कम बोलने वाला सुखी । 

ज्यादा 

बोलने से कही बेहतर है 

ज्यादा 

 सुनना। क्यों ? आइये जानते है।

बातचीत में दो चीजे शामिल होती है बताना और सुनना। बोलना जरुरी है लेकिन उससे भी जरुरी है सुना जाना।  अगर आप बातचीत के दौरान सिर्फ अपनी ही सुनते रहते है और दुसरो को बोलने का मौका नहीं देते तो लोग या तो आपकी बात पर ध्यान नहीं देंगे या धीरे- धीरे आपसे पीछे हट जायेगे, क्योकि आप उनको बोलने का मौका ही नहीं दे रहे। 

सुनना ही परवाह करना है। सबसे पहले सुनिए।  ये दर्शता है की आप परवाह करते है और दूसरा आपके लिए जरुरी है।  सुनने और ध्यान से सुनने में बहुत फर्क होता है दुसरो को ध्यान से सुनने का मतलब है की आप उस बातचीत में सक्रिय और और दुसरो की बात और भावनाओ को समझ रहे है और उन्हें अच्छे से सुनने के बाद आप अपनी बात रखते है इस तरह बातचीत में सही संतुलन बना रहता है और आपका दुसरो के साथ अच्छा रिश्ता बन जाता है। 

ज्यादातर लोगो की यही शिकायत होती है के उन्हें कोई समझता नहीं। और न समझने का मतलब यही है के उन्हें सुना नहीं जाता और उनकी  भावनाओ को भी। काफी लोगो को मैंने देखा है जो लगातार बोलते रहते है,

जबकि सामने वाला अपनी बारी आने का इंतज़ार ही करता रहता है और जब वो बोलना शुरू करते है तो उनकी बात को बीच में ही काट कर वो फिर से अपनी बात शुरू कर देते है। बात काटना दूसरे को दुःख पहुंचना है। कभी किसी की बात न कटे। आप खुद समझ सकते है अगर आपके साथ कोई हमेशा ऐसा करता है तो आप कैसा महसूस करेंगे आप यही सोचेंगे के इस बन्दे से बात करने का फायदा नहीं ये अपनी ही सुनाता रहता है, और आप उस से दुरी बना लोगें या धीरे- धीरे दुरी बना लोगे। 

लोगो को प्रभाव पैदा करने का सबसे अनोखा तरीका है। हमे लोगो को सुनकर ये जानने की कोशिश करनी चाहिए की वो आखिर कहना क्या चाहते है।  अक्सर वो दो ही तरह की बातें  करते है एक ये के उन्होंने क्या हासिल किया और दूसरा उनकी चल रही समस्याएं।  असल में हर किसी को अपने बारे में बात करना अच्छा लगता है। लेकिन अगर आप सुने बिना खुद ही बोलने लगेंगे तो उन्हें यही लगेगा के आप एक बोरिंग किस्म के इंसान है।  लेकिन जब वो अपनी समस्याएं बतायेगे और आप उन्हें ध्यान से सुनोगे तो उन्हें लगेगा के आप एक समझदार इंसान है जो उन्हें समझते है गंभीर और मददगार है।  

हमे हर वक़्त अपनी समसयाओ के बारे में या चीज़ो के बारे में शिकायत भी नहीं करते रहना चाहिए। समझदार इंसान की यही पहचान है के वो बहुत सारी बातो को करने से बचता है वो हमेशा पहले सुनता है और फिर कम से कम शब्दों का इस्तेमाल करके अपनी बात रखता है। 

किसी से भी बात करते वक़्त हमें पहले उन्हें अच्छे से समझना है और फिर समझाना है। चाहे आपके पास बातो  के ट्रक भरे पड़े हो पर अगर वो दूसरे बन्दे के काम की नहीं है तो आप उन्हें बुरी तरह बोर कर रहे है, अगर आपको यकीन नहीं है तो उनकी बॉडी लैंग्वेज देखिये अगर वो आपकी बातो पर पूरा ध्यान दे रहे है तो आपकी बात से सहमत होंगे बल्कि सर हिला कर हां भी कहेगे , अगर वो दिलचस्पी नहीं ले रहे तो वो इधर उधर देख रहे होंगे या आपकी चुप होने का इंतज़ार कर रहे दिख रहे होंगे, इसलिए सुनिए ज्यादा 

बोलिये काम लेकिन असरदार।  आपकी बातो में वजन होना चाहिए उनका मतलब भी होना जरुरी है। उनमे असर हो। 

- धन्यवाद ज्यादा 

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