Positive Thinker


जो चिन्ता से लड़ना नहीं जानते वो जवानी में ही मर जाते है। 
 - डॉ  अलेविक्स करेल 
अगर आपके जीवन में कोई बड़ी समस्या है , तो इसका मतलब सिर्फ यही है की आप अब तक छोटे है। 
सफलता का रहस्य समस्याओ से बचने या उनसे पीछा छुड़वाने या कतराने की कोशिश करना नहीं है ,रहस्य तो खुद को इतना बड़ा बनाना है की आप किसी भी समस्या से बड़े बन जाये। 
एक बड़ी सोच वाला इंसान अपनी समस्याओ से बड़ा होता है। 
जयादातर लोग समसयाओ से बचने के लिए लगभग कुछ भी करने को तैयार हो जाते है वो चुनौती देख कर भाग जाते है, 
दिक़्क़त यह है की समसयाओ से बचने की अपनी कोशिश में वो सबसे बड़ी समस्या को आमंत्रित कर लेते है वो है ज्यादातर वक़्त दुखी और निराश रहना। 

दोस्तों ख़ुशी और सफलता का रहस्य समस्याओ  से बचने उनसे पीछा छुड़ाने या उनसे कतराने में नहीं है, 
राज ये है की अपनी सोच को इतनी बड़ी कर ले की उसके आगे कोई समस्या टिक न पाए। 

अगर आप सच में चिंतामुक्त जीवन जीना चाहते है तो आपके अंदर ये दो चीजे होनी चाहिए, सीखने की गहरी ललक और चिंता छोड़ने और से जीने की प्रबल इच्छा। 
तो ये जान लीजिये जो विचार आपको परेशान करते है वो सिर्फ आपके दिमाग में ही है बाहरी दुनिया में नहीं, ज्यादातर मामलो में मैंने देखा के लोगो के मन में एक दो परेशानियां होती है किसी बात को लेकर, और वो उसे ही बड़ा कर कर देखते रहते है अपने दिमाग में, के अगर आगे वैसा हो गया तो.. या ऐसा न हो जाये मेरे साथ.. जबकि वो सब दिमाग में ही चल रहा होता है असली दुनिया में नहीं, और जरुरी नहीं के वैसा हो भी, कई बार हम किसी बात को लेकर बहुत परेशान होते है के अब क्या होगा ..  पर वैसा कुछ होता ही नहीं। 
और हो भी सकता है क्योकि जिस चीज का हमे डर होता है वो हो जाती है... ऐसा इसलिए क्योकि जहाँ ध्यान जाता है वो चीज बढ़ती है चाहे वो कोई परेशानी हो बीमारी या ख़ुशी। जी ख़ुशी भी बढ़ती है। 

अगर आप अपने दुखो और परेशानियों को खत्म करना चाहते है तो अब उनसे बच से भागने की बजाए उनका सामना करे उस परेशानी को पूरी तरह से खोल ले और शांत दिमाग से देखे की वो है क्या ?
हमारा काम ये देखना नहीं है की धुंधले में क्या है बल्कि वह करना जो हमारे सामने क्या है। 
सबसे पहले ये देखे की जो चिंता आपको परेशान कर रही है वो हो जाये तो बुरे से बुरा क्या हो सकता है,
अब दूसरा कदम बुरे से बुरे परिणामों का अनुमान लगाने के बाद अगर ऐसा हो जाता है तो इसके लिए खुद को तैयार करना। भागना और डरना तो बिलकुल नहीं, सामना करना है सामना करने से वो कमजोर होगी और आप ताक़तवर आप रास्ता भी निकल लेंगे, हमेशा अगर एक दरवाजा बंद हो जाता है तो दूसरा खुल जाता है अगर नहीं खुलेगा तो उसे तोड़ दीजिये उस सब से निकलना है उसको निपटना है हर हल में... जिन बातो का अब हमारे जीवन के लिए कोई मायने नहीं है।  
कोई चीज ऐसी न हो आपके जीवन में जो आपको रोके या परेशान करे। हर परेशानी को चीरते हुए उसके बीच में से निकल जाइये, रुकिए नहीं अगर आप रुक गए उस बात को लेके बैठ गए तो वो आपको खत्म कर देगी। अपने दिमाग को समझिये वो आपका दोस्त हो दुश्मन नहीं वो आपके हित में काम करे आपके खिलाफ नहीं।
इसे समझना है तो देखिये वो आपका साथ दे रहा है या आपको परेशान कर रहा है।

तीसरा कदम इसके बाद अपना पूरा समय और पूरी ऊर्जा शांति से इस काम पे लगाई जाये की उन बुरे से बुरे परिणामों को कैसे सुधारा जा सकता है ठीक किया जा सकता है जिसे अपने मानसिक रूप से स्वीकार कर लिया है। मन की शांति बुरे से बुरे को स्वीकार करने से आती है जब हम ये स्वीकार कर लेते  है की ये दुर्भाग्य हो चूका है अब इसका कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन इससे खुद को बहार निकला जा सकता है तो इसे ये होता है की आप उस ऊर्जा को मुक्त कर देते है जो आपके दिमाग में परेशानी बनकर ज्यादातर वक़्त घूमती रहती है। नेगिटिव विचार जो आपको लगातार परेशान कर रहे होते है वो एक ऊर्जा के रूप में ही होते है।  

तीसरा कदम अब अपने डरो का भी सामना करिये। आप तब तक पानी में तैरने से डरते रहेंगे जब तक आप पानी में कूद नहीं जाते, पानी में कूदते ही आपका डर खत्म हो जयेगा, ये सारा मामला दिमाग को मजबूत बनाने का और सोच को बड़ी करके देखने का है अपनी समस्याओ पर ध्यान कम दे  और अपनी क्षमताओं पर जायदा और वो बढ़ने लगेगी। आपको कई सम्भावनाये दिखेगी। 
आप अपने डर को भी उसका सामना करके  ही खत्म कर  सकते है जबतक आप अपने डर  का सामना नहीं करते वो आपको डराते रहेगा भूत बनकर आपके सपनो में भी।

आने वाले कल की चिंता मत करो आज में जीना सीखे। 
अपने आप को और अपने दिमाग को अच्छी बातो अच्छी किताबो को पढ़ के और शरीर को कसरत करके   मजबूत बनाये। आप दिमागी और शारारिक दोनों तरफ से मजबूत होने चाहिए। 
नेगिटिव विचार हमारे मन में तभी आते है जब हम मानसिक रूप से कमजोर होते है और हम बेजान से कही  पड़े होते है और हमारे पास करने को कुछ नहीं होता।
अपने आप को कभी भी अकेला या कमजोर न समझे, नेगिटिव विचार आप पर तभी हमला करते है जब आप खुद को कमजोर समझते है अगर शुरवात के विचारो से आप नहीं निपट पाए तो समझ लीजिये के अब आप पर एक के बाद एक नेगिटिव विचारो का हमला होने वाला है, शुरुवात होने से पहले ही उठा जाये बैठे न रहे उठ कर अपने आप को कही व्यस्त कर ले किताब पड़ना सबसे अच्छा है या उस विषय को जो आपको परेशान कर रहा है उसे बारे में  इंटरनेट या you tube में उसके बारे में सुनते रहे और समझते रहे,  सुबह उठते ही और रात को  सोने से पहले, क्योंकि को सोने से पहले पड़ने से आप अच्छे विचारो के साथ सोयेगे और उठ के पड़ने से आपका दिन अच्छा गुजरेगा सारा दिन आप चार्ज रहेगे।  किताबो और अच्छे विचारो से अगर आप जुड़े रहते है तो धीरे- धीरे आप नेगिटिव विचारो से दूर होते जायेगे और पॉजिटिव सोचना आपके लिए आसान होगा। 
हमारे दिमाग के लिए वैसा सोचना आसान होता है जैसा वो लम्बे समय से सोचता आया है इस लिए जितना हो सके अच्छे लोगो और विचारो से जुड़े रहे।  

अपनी सोच बदल दीजिये आपकी जिंदगी बदल जयेगी। 
- विलियम जेम्स 

मेरे ब्लोग्स को पड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 
लवल औजला। 

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