Bhagwan se mangne ka sahi tareeka
आपकी महानता इसमें नहीं है की आपके पास क्या है, ये इसमे है की आप क्या देते है। - ऐलिस हुकर
मैं कई लोगो को देखता हु जो एकदम से परेशान हो जाते है जब कोई उनके पास आकर उनसे मांगता है, वो खीज जाते है और कई तो गुस्से में भी आ जाते है और मांगने वालो को धका या बुरा बोल के भगा देते है।
जिनको उनसे मांगने वालो पर गुस्सा आता है वो ये जान ले के उस ईश्वर के दर पर हम सब भिखारी है,
देखिये हम ये चाहते है की वो ईश्वर हमे सब कुछ दे दे, हमारे सारे सपने पुरे कर दे , लेकिन जो हमसे मांगते है उसके ही बनाये इंसान जो हमारे मोहताज है उन्हें देने के लिए १० रूपये नहीं होते हमारे पास। हम १ या २ रूपये देकर अपनी जान छुड़वाना चाहते है,
आजकल तो एक रूपये में तो अच्छी टॉफी भी नहीं आती। अगर कोई आपसे मांगने आता है तो वो एक उम्मीद के साथ आता है जैसे हम ईश्वर के दर पर जाते है उससे मांगने उम्मीद के साथ के वो देगा। अगर आप उससे पाना चाहते है तो पहले इन्हे दीजिये जिन्हे जरूरत है जिनसे आप कई बेहतर हालत में है।
महीने, साल में चाहे एक बार दान करे, पर इतना तो करे के वो एक वक़्त का खाना अच्छे से खा सके या एक कप चाय पी सके। कोई भी इंसान आजतक दान देकर गरीब नहीं बना।
अपनी ज़िंदगी में दान जरूर करे पर केवल उतना ही जितना करने के बाद आपको पछताना न पड़े।
ईश्वर से मांगने का सही तरीका है पहले खुद देना, आप खुद को चाहे जितने मर्जी गरीब समझते हो, पर किसी न किसी से हमेशा बेहतर स्थिति में होंगे, जरुरी नहीं के आप रुपए देकर ही दान कर सकते है आप किसी भूखे को एक वक़्त का खाना खिला सकते है पुराने कपडे या कुछ भी ऐसा कर सकते है जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाये या उसकी ज़िंदगी आसान बने।
उस ईश्वर ने आपको इंसान बनाया है तो इंसानियत भी दिखाइए अगर कोई उनसे कुछ मांगता है तो वो कभी माना नहीं करते उनका दिल बहुत बड़ा होता है। उनको आपकी दौलत सोना चाँदी नहीं चाहिए वो सारे खजानो के मालिक है आप उन्हें क्या अपनी दौलत दिखा रहे है। आप दया दिखा दीजिये उनके प्रति जो आपके पास एक आस लेके आते है इनसे वो जरूर खुश होंगे और आपको भी बहुत कुछ दिया जायेगा। दान देने से चीजे बढ़ती है घटती नही।
ईश्वर से मांगने के लिए आपको उन्हें रिश्वत देने की जरूरत नहीं की मेरा काम बन गया तो ये चढ़ाऊंगा, या लेट कर या नंगें पैर चल के आऊंगा ।या औऱ कुछ ऐसा ही, वो ये सब नहीं मांगते न ही चाहते है की उनका कोई भक्त खुद को कष्ट दे उनसे मांगने के लिए सिर्फ सच्चे दिल से प्राथना करने करना और पूरा यकीन रखना होता है की वो कबूल करेंगे।
अगर आप ये रिश्वत वाला काम कर रहे हो के आप मुझे ये दिला दे और बदले में मैं ये करुगा, शायद वो भी इस बात को समझ लेते है की इसकी पिछली मांग पूरी की उसके लिए तो शुक्रिआ किया नहीं और देखो फिर कुछ और मांगने आ गया।
जब आप शुक्रगुजार रहते है जो उन्होंने आप को दिया है तो वो आपको और देते है लेकिन जब आप शिकायत करते है तो आपसे छीन लिया जाता है।
जब आप शुक्रगुजार रहते है जो उन्होंने आप को दिया है तो वो आपको और देते है लेकिन जब आप शिकायत करते है तो आपसे छीन लिया जाता है।
मैने बहुत से मुर्ख लोग देखे है जो मंदिर गुरुद्वारों में रूपये दान करके फिर पत्थरो पर अपना नाम और दान राशि पते के साथ लिखा के दीवारों पर चिपका देते है, ये दान नहीं दिखावा है ये महान बनना है दिखावा लोगो के सामने के हमने कितना दान किया ये खुद को अमर करना चाहते है, इन्होने मंदिरो के पंखो और दीवारों को काला और खराब किया है और कुछ नहीं। इन लोगो का भी कसूर नहीं इन्हे पता ही नहीं है के दान होता क्या जो लोग दान करते है वो लाखो रूपये दान कर जाते है और उनका पता भी नहीं चलता, गुप्त दान ही असली दान है।
इसे थोड़ा आसान तरिके से समझे, एक अमीर आदमी जा रहा था कि उसे एक भिखारी मिला।
भिखारी: साहिब एक 5 रुपए दे दीजिए
अमीर आदमी : चल भाग यहाँ से पैसे ऐसे मांग रहा है जैसे मैने तेरा कर्जा देना हो, ये ले 1 रुपया।
आगे उसे एक और भिखारी मिलता है
भिखारी : साब कैसे हो आप मै आपके दर्शन करने आया हु आज आपके दर्शन हो गए मै धन्य हो गया।
ये सुनकर अमीर आदमी उसे अपने लिफाफे से फल निकल के देता है और कहता है के ये फल खा लो, कुछ और चाहिए तो बोलो?
भिखारी: साब अपने मुझे फल खिलाये अच्छा खाना खिलाया औऱ क्या चाहिए आप का बहुत शुक्रिया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
ये सुनके अमीर आदमी इतना खुश होता है कि उसे अपने साथ अपने बँगले में ले जाता है और वही उसे एक कमरा बनवा देता है।
कुछ लोग ऐसे होते है जो हमेशा ईश्वर के दर पे मांगने जाते है, तो कुछ लोग हमेशा उन्हें धन्यवाद करने जाते है, शुक्रिया करने जाते है उन सब चीजों के लिए जो उन्हें ईश्वर ने दी है।
मेरे ब्लॉग को पढ़ने के लिए धन्यवाद।
आपका लवल औजला।
Awesome sir 👌😇
ReplyDeletesachi bat sir thank u sir
ReplyDeleteThank u🙏🙏😊😊
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